11. कोई समझदार नहीं, कोई परमेश्वर का खोजने वाला नहीं।
12. सब भटक गए हैं, सब के सब निकम्मे बन गए, कोई भलाई करने वाला नहीं, एक भी नहीं।
13. उन का गला खुली हुई कब्र है: उन्होंने अपनी जीभों से छल किया है: उन के होठों में सापों का विष है।
14. और उन का मुंह श्राप और कड़वाहट से भरा है।
15. उन के पांव लोहू बहाने को फुर्तीले हैं।
16. उन के मार्गों में नाश और क्लेश हैं।
17. उन्होंने कुशल का मार्ग नहीं जाना।
18. उन की आंखों के साम्हने परमेश्वर का भय नहीं।