31. हे लोगो, यहोवा के वचन पर ध्यान दो! क्या मैं इस्राएल के लिये जंगल वा घोर अन्धकार का देश बना? तब मेरी प्रजा क्यों कहती है कि हम तो आजाद हो गए हैं सो तेरे पास फिर न आएंगे?
32. क्या कुमारी अपने सिंगार वा दुल्हिन अपनी सजावट भूल सकती है? तौभी मेरी प्रजा ने युगों से मुझे बिसरा दिया है।
33. प्रेम लगाने के लिये तू कैसी सुन्दर चाल चलती है! बुरी स्त्रियों को भी तू ने अपनी सी चाल सिखाई है।