17. तब वह मुझे बाहरी आंगन में ले गया; और उस आंगन के चारों ओर कोठरियां थीं; और एक फर्श बना हुआ था; जिस पर तीस कोठरियां बनी थीं।
18. और यह फर्श अर्थात निचला फर्श फाटकों से लगा हुआ था और उनकी लम्बाई के अनुसार था।
19. फिर उसने निचले फाटक के आगे से ले कर भीतरी आंगन के बाहर के आगे तक मापकर सौ हाथ पाए; वह पूर्व और उत्तर दोनों ओर ऐसा ही था।
20. तब बाहरी आंगन के उत्तरमुखी फाटक की लम्बाई और चौड़ाई उसने मापी।