13. यदि मैं धमीं से कहूं कि तू निश्चय जीवित रहेगा, और वह अपने धर्म पर भरोसा कर के कुटिल काम करने लगे, तब उसके धर्म के कामों में से किसी का स्मरण न किया जाएगा; जो कुटिल काम उसने किए हों वह उन्ही में फंसा हुआ मरेगा।
14. फिर जब मैं दुष्ट से कहूं, तू निश्चय मरेगा, और वह अपने पाप से फिर कर न्याय और धर्म के काम करने लगे,
15. अर्थात यदि दुष्ट जन बन्धक फेर दे, अपनी लूटी हुई वस्तुएं भर दे, और बिना कुटिल काम किए जीवनदायक विधियों पर चलने लगे, तो वह न मरेगा; वह निश्चय जीवित रहेगा।
16. जितने पाप उसने किए हों, उन में से किसी का स्मरण न किया जाएगा; उसने न्याय और धर्म के काम किए और वह निश्चय जीवित रहेगा।