12. तो तुम उस को उसके पिता वा उस की माता की कुछ सेवा करने नहीं देते।
13. इस प्रकार तुम अपनी रीतियों से, जिन्हें तुम ने ठहराया है, परमेश्वर का वचन टाल देते हो; और ऐसे ऐसे बहुत से काम करते हो।
14. और उस ने लोगों को अपने पास बुलाकर उन से कहा, तुम सब मेरी सुनो, और समझो।
15. ऐसी तो कोई वस्तु नहीं जो मनुष्य में बाहर से समाकर अशुद्ध करे; परन्तु जो वस्तुएं मनुष्य के भीतर से निकलती हैं, वे ही उसे अशुद्ध करती हैं।
16. यदि किसी के सुनने के कान हों तो सुन ले।