5. वे अपने सब काम लोगों को दिखाने के लिये करते हैं: वे अपने तावीजों को चौड़े करते, और अपने वस्त्रों की को रें बढ़ाते हैं।
6. जेवनारों में मुख्य मुख्य जगहें, और सभा में मुख्य मुख्य आसन।
7. और बाजारों में नमस्कार और मनुष्य में रब्बी कहलाना उन्हें भाता है।
8. परन्तु, तुम रब्बी न कहलाना; क्योंकि तुम्हारा एक ही गुरू है: और तुम सब भाई हो।
9. और पृथ्वी पर किसी को अपना पिता न कहना, क्योंकि तुम्हारा एक ही पिता है, जो स्वर्ग में है।
10. और स्वामी भी न कहलाना, क्योंकि तुम्हारा एक ही स्वामी है, अर्थात मसीह।
11. जो तुम में बड़ा हो, वह तुम्हारा सेवक बने।