22. अपने दास इस्राएलियों के भाग होने के लिये दे दिया, उसकी करूणा सदा की है।
23. उसने हमारी दुर्दशा में हमारी सुधि ली, उसकी करूणा सदा की है।
24. और हम को द्रोहियों से छुड़ाया है, उसकी करूणा सदा की है।
25. वह सब प्राणियों को आहार देता है, उसकी करूणा सदा की है।