14. यहोवा तुम को और तुम्हारे लड़कों को भी अधिक बढ़ाता जाए!
15. यहोवा जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है, उसकी ओर से तुम अशीष पाए हो॥
16. स्वर्ग तो यहोवा का है, परन्तु पृथ्वी उसने मनुष्यों को दी है।
17. मृतक जितने चुपचाप पड़े हैं, वे तो याह की स्तुति नहीं कर सकते,