10. उसने उन्हें बैरी के हाथ से उबारा, और शत्रु के हाथ से छुड़ा लिया।
11. और उन के द्रोही जल में डूब गए; उन में से एक भी न बचा।
12. तब उन्हों ने उसके वचनों का विश्वास किया; और उसकी स्तुति गाने लगे॥
13. परन्तु वे झट उसके कामों को भूल गए; और उसकी युक्ति के लिये न ठहरे।
14. उन्होंने जंगल में अति लालसा की और निर्जल स्थान में ईश्वर की परीक्षा की।