17. मैं ने अपने बिछौने पर गन्घरस, अगर और दालचीनी छिड़की है।
18. इसलिये अब चल हम प्रेम से भोर तक जी बहलाते रहें; हम परस्पर की प्रीति से आनन्दित रहें।
19. क्योंकि मेरा पति घर में नहीं है; वह दूर देश को चला गया है;
20. वह चान्दी की थैली ले गया है; और पूर्णमासी को लौट आएगा॥
21. ऐसी ही बातें कह कह कर, उस ने उस को अपनी प्रबल माया में फंसा लिया; और अपनी चिकनी चुपड़ी बातों से उस को अपने वश में कर लिया।