23. जब उसका पति सभा में देश के पुरनियों के संग बैठता है, तब उसका सम्मान होता है।
24. वह सन के वस्त्र बनाकर बेचती है; और व्योपारी को कमरबन्द देती है।
25. वह बल और प्रताप का पहिरावा पहिने रहती है, और आने वाले काल के विषय पर हंसती है।
26. वह बुद्धि की बात बोलती है, और उस के वचन कृपा की शिक्षा के अनुसार होते हैं।