नीतिवचन 31:18-24 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

18. वह परख लेती है कि मेरा व्यापार लाभदायक है। रात को उसका दिया नहीं बुझता।

19. वह अटेरन में हाथ लगाती है, और चरखा पकड़ती है।

20. वह दीन के लिये मुट्ठी खोलती है, और दरिद्र के संभालने को हाथ बढ़ाती है।

21. वह अपने घराने के लिये हिम से नहीं डरती, क्योंकि उसके घर के सब लोग लाल कपड़े पहिनते हैं।

22. वह तकिये बना लेती है; उसके वस्त्र सूक्ष्म सन और बैंजनी रंग के होते हैं।

23. जब उसका पति सभा में देश के पुरनियों के संग बैठता है, तब उसका सम्मान होता है।

24. वह सन के वस्त्र बनाकर बेचती है; और व्योपारी को कमरबन्द देती है।

नीतिवचन 31