26. तब यहोवा का दूत आगे बढ़कर एक सकेत स्थान पर खड़ा हुआ, जहां न तो दाहिनी ओर हटने की जगह थी और न बाईं ओर।
27. वहां यहोवा के दूत को देखकर गदही बिलाम को लिये दिये बैठ गई; फिर तो बिलाम का कोप भड़क उठा, और उसने गदही को लाठी से मारा।
28. तब यहोवा ने गदही का मुंह खोल दिया, और वह बिलाम से कहने लगी, मैं ने तेरा क्या किया है, कि तू ने मुझे तीन बार मारा?
29. बिलाम ने गदही से कहा, यह कि तू ने मुझ से नटखटी की। यदि मेरे हाथ में तलवार होती तो मैं तुझे अभी मार डालता।
30. गदही ने बिलाम से कहा क्या मैं तेरी वही गदही नहीं जिस पर तू जन्म से आज तक चढ़ता आया है? क्या मैं तुझ से कभी ऐसा करती थी? वह बोला, नहीं।
31. तब यहोवा ने बिलाम की आंखे खोलीं, और उसको यहोवा का दूत हाथ में नंगी तलवार लिये हुए मार्ग में खड़ा दिखाई पड़ा; तब वह झुक गया, और मुंह के बल गिरके दण्डवत की।
32. यहोवा के दूत ने उससे कहा, तू ने अपनी गदही को तीन बार क्यों मारा? सुन, तेरा विरोध करने को मैं ही आया हूं, इसलिये कि तू मेरे साम्हने उलटी चाल चलता है;