30. इसलिये कि हम उस की देह के अंग हैं।
31. इस कारण मनुष्य माता पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा, और वे दोनों एक तन होंगे।
32. यह भेद तो बड़ा है; पर मैं मसीह और कलीसिया के विषय में कहता हूं।
33. पर तुम में से हर एक अपनी पत्नी से अपने समान प्रेम रखे, और पत्नी भी अपने पति का भय माने॥