4. जैसा उस ने हमें जगत की उत्पति से पहिले उस में चुन लिया, कि हम उसके निकट प्रेम में पवित्र और निर्दोष हों।
5. और अपनी इच्छा की सुमति के अनुसार हमें अपने लिये पहिले से ठहराया, कि यीशु मसीह के द्वारा हम उसके लेपालक पुत्र हों,
6. कि उसके उस अनुग्रह की महिमा की स्तुति हो, जिसे उस ने हमें उस प्यारे में सेंत मेंत दिया।
7. हम को उस में उसके लोहू के द्वारा छुटकारा, अर्थात अपराधों की क्षमा, उसके उस अनुग्रह के धन के अनुसार मिला है।
8. जिसे उस ने सारे ज्ञान और समझ सहित हम पर बहुतायत से किया।
9. कि उस ने अपनी इच्छा का भेद उस सुमति के अनुसार हमें बताया जिसे उस ने अपने आप में ठान लिया था।
10. कि समयों के पूरे होने का ऐसा प्रबन्ध हो कि जो कुछ स्वर्ग में है, और जो कुछ पृथ्वी पर है, सब कुछ वह मसीह में एकत्र करे।