29. फिर क्या कोई बादलों का फैलना और उसके मण्डल में का गरजना समझ सकता है?
30. देख, वह अपने उजियाले को चहुँ ओर फैलाता है, और समुद्र की थाह को ढांपता है।
31. क्योंकि वह देश देश के लोगों का न्याय इन्हीं से करता है, और भोजन वस्तुएं बहुतायत से देता है।
32. वह बिजली को अपने हाथ में ले कर उसे आज्ञा देता है कि दुश्मन पर गिरे।
33. इसकी कड़क उसी का समाचार देती है पशु भी प्रगट करते हैं कि अन्धड़ चढ़ा आता है।