8. पृथ्वी पर ध्यान दे, तब उस से तुझे शिक्षा मिलेगी; ओर समुद्र की मछलियां भी तुझ से वर्णन करेंगी।
9. कौन इन बातों को नहीं जानता, कि यहोवा ही ने अपने हाथ से इस संसार को बनाया है।
10. उसके हाथ में एक एक जीवधारी का प्राण, और एक एक देहधारी मनुष्य की आत्मा भी रहती है।
11. जैसे जीभ से भोजन चखा जाता है, क्या वैसे ही कान से वचन नहीं परखे जाते?
12. बूढ़ों में बुद्धि पाई जाती है, और लम्बी आयु वालों में समझ होती तो है।