15. देखो, जब वह वर्षा को रोक रखता है तो जल सूख जाता है; फिर जब वह जल छोड़ देता है तब पृथ्वी उलट जाती है।
16. उस में सामर्थ्य और खरी बुद्धि पाई जाती है; धोख देने वाला और धोखा खाने वाला दोनों उसी के हैं।
17. वह मंत्रियों को लूटकर बन्धुआई में ले जाता, और न्यायियों को मूर्ख बना देता है।
18. वह राजाओं का अधिकार तोड़ देता है; और उनकी कमर पर बन्धन बन्धवाता है।
19. वह याजकों को लूटकर बन्धुआई में ले जाता और सामर्थियों को उलट देता है।