7. सो अब तू मेरे पास एक ऐसा मनुष्य भेज दे, जो सोने, चान्दी, पीतल, लोहे और बैंजनी, लाल और नीले कपड़े की कारीगरी में निपुण हो और नक्काशी भी जानता हो, कि वह मेरे पिता दाऊद के ठहराए हुए निपुण मनुष्यों के साथ हो कर जो मेरे पास यहूदा और यरूशलेम में रहते हैं, काम करे।
8. फिर लबानोन से मेरे पास देवदार, सनोवर और चंदन की लकड़ी भेजना, क्योंकि मैं जानता हूँ कि तेरे दास लबानोन में वृक्ष काटना जानते हैं, और तेरे दासों के संग मेरे दास भी रहकर,
9. मेरे लिये बहुत सी लकड़ी तैयार करेंगे, क्योंकि जो भवन मैं बनाना चाहता हूँ, वह बड़ा और अचम्भे के योग्य होगा।
10. और तेरे दास जो लकड़ी काटेंगे, उन को मैं बीस हजार कोर कूटा हुआ गेहूं, बीस हजार कोर जव, बीस हजार बत दाखमधु और बीस हजार बत तेल दूंगा।
11. तब सोर के राजा हूराम ने चिट्ठी लिख कर सुलैमान के पास भेजी, कि यहोवा अपनी प्रजा से प्रेम रखता है, इस से उसने तुझे उनका राजा कर दिया।
12. फिर हूराम ने यह भी लिखा कि धन्य है इस्राएल का परमेश्वर यहोवा, जो आकाश और पृथ्वी का सृजनहार है, और उसने दाऊद राजा को एक बुद्धिमान, चतुर और समझदार पुत्र दिया है, ताकि वह यहोवा का एक भवन और अपना राजभवन भी बनाए।
13. इसलिये अब मैं एक बुद्धिमान और समझदार पुरुष को, अर्थात हूराम-अबी को भेजता हूँ,