1 इतिहास 12:21-40 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

21. इन्होंने लुटेरों के दल के विरुद्ध दाऊद की सहायता की, क्योंकि ये सब शूरवीर थे, और सेना के प्रधान भी बन गए।

22. वरन प्रतिदिन लोग दाऊद की सहायता करने को उसके पास आते रहे, यहां तक कि परमेश्वर की सेना के समान एक बड़ी सेना बन गई।

23. फिर लोग लड़ने के लिये हथियार बान्धे हुए होब्रोन में दाऊद के पास इसलिये आए कि यहोवा के वचन के अनुसार शाऊल का राज्य उसके हाथ में कर दें: उनके मुखियों की गिनती यह है।

24. यहूदा के ढाल और भाला लिए हुए छ: हजार आठ सौ हथियार बन्ध लड़ने को आए।

25. शिमोनी सात हजार एक सौ तैयार शूरवीर लड़ने को आए।

26. लेवीय चार हजार छ: सौ आए।

27. और हारून के घराने का प्रधान यहोयादा था, और उसके साथ तीन हजार सात सौ आए।

28. और सादोक नाम एक जवान वीर भी आया, और उसके पिता के घराने के बाईस प्रधान आए।

29. और शाऊल के भाई बिन्यामीनियों में से तीन हजार आए, क्योंकि उस समय तक आधे बिन्यामीनियों से अधिक शाऊल के घराने का पक्ष करते रहे।

30. फिर एप्रैमियों में से बड़े वीर और अपने अपने पितरों के घरानों में नामी पुरुष बीस हजार आठ सौ आए।

31. और मनश्शे के आधे गोत्र में से दाऊद को राजा बनाने के लिये अठारह हजार आए, जिनके नाम बताए गए थे।

32. और इस्साकारियों में से जो समय को पहचानते थे, कि इस्राएल को क्या करना उचित है, उनके प्रधान दो सौ थे; और उनके सब भाई उनकी आज्ञा में रहते थे।

33. फिर जबूलून में से युद्ध के सब प्रकार के हथियार लिए हुए लड़ने को पांति बान्धने वाले योद्धा पचास हजार आए, वे पांति बान्ध्ने वाले थे: और चंचल न थे।

34. फिर नप्ताली में से प्रधान तो एक हजार, और उनके संग ढाल और भाला लिए सैंतीस हजार आए।

35. और दानियों में से लड़ने के लिये पांति बान्धने वाले अठाईस हजार छ: सौ आए।

36. और आशेर में से लड़ने को पांति बान्धने वाले चालीस हजार योद्धा आए।

37. और यरदन पार रहने वाले रूबेनी, गादी और मनश्शे के आधे गोत्रियों में से युद्ध के सब प्रकार के हथियार लिए हुए एक लाख बीस हजार आए।

38. ये सब युद्ध के लिये पांति बान्धने वाले दाऊद को सारे इस्राएल का राजा बनाने के लिये हेब्रोन में सच्चे मन से आए, और और सब इस्राएली भी दाऊद को राजा बनाने के लिये सहमत थे।

39. और वे वहां तीन दिन दाऊद के संग खाते पीते रहे, क्योंकि उनके भाइयों ने उनके लिये तैयारी की थी।

40. और जो उनके निकट वरन इस्साकार, जबूलून और नप्ताली तक रहते थे, वे भी गदहों, ऊंटों, खच्चरों और बैलों पर मैदा, अंजीरों और किशमिश की टिकियां, दाखमधु और तेल आदि भोजनवस्तु लादकर लाए, और बैल और भेड़-बकरियां बहुतायत से लाए; क्योंकि इस्राएल में आनन्द मनाया जा रहा था।

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